मेरे मन की बात
बात सिर्फ कन्हैया जी की नहीं है अभी , बात उन मुददों की है जो काफी वक़्त से जेहन में हैं , किसके जेहन में हैं इसका जवाब देना मुश्किल है , मुश्किल नहीं पर हाँ शब्द कौन सा उपयोग करूँ ये मुश्किल है। एक शब्द है अंगेज़ी का पॉलिटिकली करेक्ट होना । फैशन के दौर में पॉलिटीकली करेक्ट होना फैशन भी है , बुद्धिमान और बुद्धिजीवी होने का प्रतीक भी और आज के दौर की राजनीति की जरुरत भी मगर मेरा इरादा यहाँ पॉलिटिकली करेक्ट होने का बिलकुल भी नहीं है तो मैं बगैर किसी दिक्कत के लिख सकती हूँ की बात उन मुद्दों की है जो काफी वक़्त से जेहन में है , हिन्दुओं के जेहन में हैं।कन्हैया जी और उन जैसे बहुतों को दिक्कत है , दिक्कत इस बात से है की अफज़ल गुरु को फांसी हो गयी। भारत जहाँ हज़ारों मुददे हैं सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने को , किसी भी सरकार के खिलाफ , वो मोदी हों या मनमोहन। मुददों की कमी नहीं है छात्रों के पास। कुछ नहीं तो सीट्स ही बढ़वा लेते पीएचडी में दाखिले के लिए। थोड़ी स्कालरशिप भी बढ़ जाती तो अच्छा ही रहता। होस्टल्स में सीट्स बढ़वा लेते , कुछ भी ऐसा करते की लगता की छात्र नेता ने छात्रों के लिए कुछ किया।
जाने देते हैं इन बातों को। अफज़ल गुरु का फांसी होना और २ साल पहले दी गयी फांसी के लिए इन लोगों का दर्द देखते ही बना। इतने संवेदनशील युवा हमारे देश के की अफज़ल गुरु के लिए लड़ पड़े , अन्याय के लिए लड़ पड़े ,कश्मीर की जनता के लिए लड़ पड़े। या लड़ पड़े की राजनैतिक पहचान बन जाये और बन ही गयी।
और सेक्युलर तो ऐसे की मंदिर शब्द से ही आपत्ति है इन्हें। बुद्धिजीवी बनते हैं भाई और सेक्युलर भी। कन्हैया जी और उनके समर्थको से कहना है मेरा ,मंदिर शब्द से आपत्ति जताने वाले बेवकूफों ! हिंदू हैं और मंदिर हैं तभी तक सेक्युलर शब्द का अस्तित्व है।
बुरा लगा ये सुन कर की जे एन यू को शिक्षा का मंदिर कहे जाने पे कन्हैया जी भड़क उठे। भाई सहिष्णु होने का सारा जिम्मा बी जे पी , मोदी ,आर एस एस और हिन्दुओं का है।
आरएसएस से क्या प्रॉब्लम है ? एक ही प्रॉब्लम है सबको आर एसएस से कि आरएसएस सेक्युलर नहीं है। इस बात पर लिखूंगी अगले पोस्ट में सेक्युलर हिन्दुओं की ही जाति है , राजनैतिक जात।
मेरे हिसाब से कन्हैया जी देशद्रोही या राष्ट्रद्रोही नहीं हैं फिलहाल। बस थोड़े ज्यादा एम्बिशयस या महत्वाकांछी हैं। भटके हुए भी हैं और नेता बनने के किये जल्दी में हैं। माफी मांगनी चाहिए उन्हें , इस बात के लिए नहीं की उन्हें बुरा लगा की अफज़ल गुरु को फांसी हो गयी , इस बात के लिए की उन्हें भारत में रह कर अफज़ल गुरु के लिए बुरा लगा। अभिव्यक्ति की आजादी देने के समय हमारे लोगों ने सोचा नहीं था की लोगो की अनुभूति ऐसे देश के खिलाफ हो जाएगी।
निधि
The whole blog is superb..bt best lines are कन्हैया जी देशद्रोही या राष्ट्रद्रोही नहीं हैं फिलहाल।बस थोड़े ज्यादा एम्बिशयस या महत्वाकांछी हैं।भटके हुए भी हैं और नेता बनने के किये जल्दी में हैं।माफी मांगनी चाहिए उन्हें,इस बात के लिए नहीं की उन्हें बुरा लगा की अफज़ल गुरु को फांसी हो गयी,इस बात के लिए की उन्हें भारत में रह कर अफज़ल गुरु के लिए बुरा लगा।
ReplyDeleteThanks Ankit !
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